देव आनंद जी की गिनती गुजरे जमाने के पॉपुलर एक्टर्स में की जाती है। वह आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका अंदाज और उनकी अदायगी आज भी फैंस के दिलों में बसी हुई है। देव आनंद का स्टाइल उस जमाने में बहुत मशहूर हुआ था। जिद्दी, नौ दो ग्यारह, हम दोनों, जॉनी मेरा नाम, सीआईडी, महल, हरे कृष्णा हरे राम जैसी फिल्मों में देव आनंद की भूमिकाओं को आज भी याद किया जाता है। देव आनंद का अंदाज इतना दिलकश था कि सभी उनके दीवाने हो जाते थे।
26 सितंबर 2023. इस तारीख को अगर हीरो देव आनंद जीवित होते, तो अपना 100वां जन्मदिन मना रहे होते। यह भी सच है कि वह इस दिन को खूब धूमधाम से मनाते क्योंकि वह जिंदादिल शख्स थे। यूं तो देव आनंद के बारे में सैकड़ों किस्से-कहानियां लोगों के दिलों और मीडिया में दर्ज हैं, मगर एक बात बहुत रोचक है। अक्सर पुराने लोग बताते हैं और मीडिया में भी बरसों से चल रहा है कि कोर्ट ने देव आनंद को काले कपड़े या काला कोट पहनने से रोक दिया था।
देव आनंद का परदे पर रोमांस हो या फिर उनके हीरोइन्स के साथ नाम जुड़ने के चर्चे, उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी। देव आनंद को प्यार से फैंस देव साहब भी कहा करते थे। देव आनंद का सफेद शर्ट और ब्लैक कोट का अंदाज काफी पॉपुलर हुआ था। लेकिन आखिर क्यों कोर्ट ने उनके काले कोट पहनने पर बैन लगा दिया था। इसी किस्से के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
सेलेब्स के स्टाइल को कॉपी करने की कोशिश करना या फिर उनके स्टाइल का दीवाना हो जाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देव साहब के सफेद कमीज और काले कोट के स्टाइल का जादू कुछ अलग ही था। उन्हें काले कोट में देखने की दीवानगी कुछ अलग ही थी। देव आनंद साहब को पब्लिक में काले कोट पहनने से मना भी किया गया था। इसके पीछे वजह भी बड़ी अजीब थी। रिपोर्ट्स की मानें तो देव साहब जब काला कोट पहनकर पब्लिक में निकलते थे तो लड़कियां उनके लुक की दीवानी हो जाती थी।उन्हें काले कोट में देखकर लड़कियां बेकाबू हो जाती थीं। कोई कहता है कि वे ऊंची इमारतों से कूद जाती थीं, तो कोई कहता है कि वे अपने खून से चिट्ठियां लिखती थीं यही वजह थी कि देव साहब को पब्लिक में काले कोट को पहनने से मना किया गया था। देव साहब की पॉपुलैरिटी उस वक्त बहुत ज्यादा थी। उन्हें फैशन आइकन के तौर पर भी याद किया जाता है।
सच्चाई यह है कि इस बात में कुछ भी सच नहीं है। यह सिर्फ एक गप या अफवाह है। जो 1990 के दशक के आस-पास चली और फैलती चली गई। सोशल मीडिया के दौर में इसे खूब हवा मिली क्योंकि लोग इस पर लगातार लिखते रहे और वीडियो बनाते रहे। सितंबर 2007 देव आनंद की आत्मकथा प्रकाशित हुई थी (Romancing With Life)। जहां देव आनंद ने इस बात को ‘कोरी बकवास’ बताया है। उन्होंने इस अफवाह को ‘एक बेवकूफी भरा मिथक’ कहते हुए यह साफ किया कि आखिर बात कहां से शुरू हुई। देव आनंद ने अपनी अपनी आत्मकथा में फिल्म काला पानी को बहुत दिल से याद किया क्योंकि यह फिल्म कई कारणों से यादगार बन गई।
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