Hanuman Jayanti 2022 : शाम को हनुमान जी की पूजा और आरती का विधि-विधान
हिन्दू धर्म में वैसे तो सभी पूर्णीमा व्रत को शुभ माना गया है। लेकिन, चैत्र पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल की पहली पूर्णीमा होती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। ऐसे में इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। आज चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर हनुमान जयंती भी मनायी जा रही है। तो आइये जानते है चैत्र पूर्णिमा के बारे में, साथ ही हनुमान जी की पूजा और आरती का विधि-विधान।
चैत्र पूर्णिमा व्रत का महत्व
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
- गरीब-निर्धनों को दान पुण्य करें।
- चैत्र पूर्णिमा नव संवत्सर की पहली पूर्णिमा मानी जाती है। कहा जाता है कि मां अंजनी के कोख से ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। इनकी पूजा से बल और साहस मिलता है।
- भगवान विष्णु के पूजा का विशेष महत्व होता है। सत्यनारायण स्वामी की विधिपूर्वक पूजा करने से जातक को विशेष फल मिलता है। साथ ही साथ सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है।
हनुमान जयंती पर ये है पूजा का विधान
ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार हनुमान जयंती देश में अलग-अलग महीनों में मनाई जाती है, लेकिन ये पर्व उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में चैत्र माह की पूर्णिमा पर ही मनाया जाता है। हनुमानजी की आयु एक कल्प होने से वे अमर हैं। ये रुद्रावतार माने जाते हैं। हनुमानजी ब्रह्मचारी के रूप में ही पूजे जाते हैं। इसलिए प्रातः 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक उनकी पूजा का विधान है।
हनुमान जी की आरती में ध्यान रखने वाली बातें
- पूजा के समय लाल रंग के फूलों का प्रयोग करें।
- हनुमान जी को आरती से पूर्व लाल सिंदूर अर्पित करना चाहिए क्योंकि हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है।
- आरती करने से पूर्व पूजा करना आवश्यक होता है।
- आरती के शब्दों का सही उच्चारण करें।
- पूजा और आरती के समय मन में किसी प्रकार का द्वेष, क्रोध, काम, लोभ आदि न रखें।
यह भी पढ़ें: आज है हनुमान जयंती, साल में 2 बार क्यों मनाते हैं हनुमान जी का जन्मदिन