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होली के 8 दिन पहले तक ना करें यह काम, नहीं तो हो जाएगा जीवन नष्ट!

होलाष्टक में क्या करें
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होली के आठ दिन पहले ही होलाष्टक आरंभ हो जाता है। मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक होलिका दहन तक चलते हैं। कहा जाता है कि होलिका द्वारा भक्त प्रह्लाद को जलाए जाने से पहले आठ दिन तक उन्हें बहुत यातनाएं दी गई थी, इसलिए इन आठ दिनों को बहुत ही अशुभ माना जाता है।

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होलाष्टक के समय होली से आठ दिन पहले तक सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है उस दिन तक होलाष्टक माने जाते हैं।

क्या होता है होलाष्टक?

होलाष्टक शब्द होली और अष्टक शब्द से मिलकर बना है। इसका मतलब होता है होली के आठ दिन। इन आठ दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी की मनाही होती है। फाल्गुन माह में पूर्णिमा को होलिका दहन मनाई जाती है।

होलाष्टक के समय में कोई भी यज्ञ, हवन आदि नहीं करना चाहिए। इस समय नौकरी में परिवर्तन करने से भी बचना चाहिए और नया व्यापार आरंभ नहीं करना चाहिए। इस दौरान भजन, कीर्तन, पूजा पाठ जैसे कार्य किए जा सकते हैं।

होलाष्टक को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है। इन दिनों दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। होलाष्टक के दौरान स्वच्छता और खान-पान की उचित ध्यान रखना चाहिए। इन दिनों भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।

होलाष्टक के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुभ माना जाता है। इसका जाप करने से हर तरह के कष्ट और रोग आदि से मुक्ति मिल जाती है। इन दिनों में भगवान गणेश की उपासना बहुत फलदायी माना गया है।

होलाष्टक में हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना शुभ होता है। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। नवविवाहितों को होलाष्टक के दिनों में मायके में रहना चाहिए।

नोट- यह जानकारी धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

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