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Chhath Puja 2022: खरना पूजा आज, जानें इस दिन क्या करें क्या न करें और पूजा विधि

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Chhath Puja 2022: खरना में दिन भर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाती है, बाद में 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं।

Chhath Puja 2022
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Chhath Puja 2022: देशभर में छठ पूजा की धूम मची हुई है। छठ पर्व की शुरुआत 8 नवंबर (शुक्रवार) को नहाय-खाय के साथ हो चुकी है। नहाय-खाय के बाद अगले दिन यानि आज (29 अक्टूबर 2022) खरना मनाया जा रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। खरना में दिन भर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर, उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं।

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दरअसल, छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना खास होता है, क्योंकि व्रती इसमें दिन भर व्रत रखकर रात में रसिया (खीर) का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

दूसरे दिन होता है खरना (Chhath Puja 2022)

खरना के दिन व्रती दिन भर निर्जला व्रत करते हैं और इस दिन छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनती है और खास बात है कि यह खीर शाम को मिट्टी के चुल्हे पर तैयार की जाती है। शाम को पूजा के बाद गुड़ की खीर का प्रसाद पहले व्रती ग्रहण करते हैं और इसके बाद इसे सभी में बांटा जाता है।

खरना के दिन क्या करें क्या न करें

क्या करें

  • खरना पूजा का प्रसाद हमेशा ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए, जहां रोजमर्रा का खाना न बनता हो।
  • खरना का प्रसाद बनने के बाद इसे सबसे पहले व्रती ग्रहण करें।
  • व्रती को शांत जगह पर बैठकर खरना का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
  • सूर्य को अर्घ्य दिए बिना कुछ खाना पीना नहीं चाहिए।

क्या ने करें

  • घर में बच्चे अक्सर बिना धोए हाथों से पूजा के सामान या प्रसाद को छू लेते हैं तो ऐसे सामान का इस्तेमाल न करें।
  • छठ पर्व के दौरान प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. खरना वाले दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • छठ पर्व काफी कठिन माना जाता है। इस दौरान चार दिनों तक बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए, बल्कि जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोना चाहिए।
  • खरना का प्रसाद हमेशा साफ-सुथरे जगह पर तैयार करना चाहिए। वह ऐसा स्थान हो, जहां पर रोजाना वाला भोजन न बनता हो।

खरना पूजा विधि

खरना के दिन व्रती महिलाएं प्रात:काल स्नान कर के साफ और नया वस्त्र पहनती हैं। इसके बाद पूरा दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त के बाद चूल्हे पर खरना का प्रसाद तैयार करती हैं। फिर शाम में सूर्य देव को खीर, रोटी और केले से अर्घ्य दिया जाता है। भगवान भास्कर को भोग लगाने के बाद सबसे पहले व्रती इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। बाद में व्रती खरना का प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों में बांटती हैं।

बता दें कि खरना के साथ महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। छठ व्रत के दौरान ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है। इसके साथ व्रत में बिस्तर या बेड पर नहीं सोना चाहिए। व्रतियों को छठ व्रत के समय जमीन पर आसान लगाकर सोना होता है।

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