Bundelkhand Expressway: बुंदेलखंड को मिली बुलंदी, 296 KM लंबाई, अब 6 घंटे में चित्रकूट से पहुंचेंगे दिल्ली
Bundelkhand Expressway: उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड अब सीधा दिल्ली और लखनऊ से जुड़ गया है। पीएम मोदी ने आज बुंदेलखंड को यह सौगात दी है। आपको बता दें कि करीब 14,850 करोड़ रुपए की लागत से बने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चित्रकूट जिले में भरतकूप के पास से शुरू होता है और इटावा जिले के कुदरैल गांव के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के साथ मिल जाता है। इसमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा के सात जिले शामिल हैं। सड़क में कई नदियों पर क्रॉसिंग हैं: बागान, केन, श्यामा, चंदावल, बिरमा, यमुना, बेतवा और सेंगर।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की 296 KM लंबाई
इसी के साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे राज्य में कनेक्टिविटी बढ़ाने वाले प्रमुख लिंक में से एक है। फोर लेन एक्सप्रेस-वे की वजह से दिल्ली और चित्रकूट के बीच का सफर, जिसमें 9-10 घंटे लगते थे, अब अनुमान के मुताबिक करीब 6 घंटे में पूरा किया जा सकता है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे आगामी उत्तर प्रदेश रक्षा गलियारा परियोजना की सफलता के लिए भी महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा विकसित किया गया है।
अब 6 घंटे में चित्रकूट से पहुंचेंगे दिल्ली
गौरतलब हो की आने वाले समय में एक्सप्रेसवे को भी छह लेन तक विस्तारित किया जा सकता है। चित्रकूट और इटावा के साथ, एक्सप्रेसवे सात जिलों, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन और औरैया से होकर गुजरेगा। वहीं बांदा और जालौन जिलों में औद्योगिक कॉरिडोर पर निर्माण भी शुरू हो गया है। राज्य के पश्चिमी, मध्य और बुंदेलखंड हिस्सों में 20,000 करोड़ रुपये की रक्षा गलियारा परियोजना के 5,071 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र शामिल हैं।
PM मोदी ने किया बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि जिस धरती ने अनगिनत शूरवीर पैदा किए, जहां के खून में भारतभक्ति बहती है, जहां के बेटे-बेटियों के पराक्रम और परिश्रम ने हमेशा देश का नाम रोशन किया है, उस बुंदेलखंड की धरती को आज एक्सप्रेसवे का ये उपहार देते हुए मुझे विशेष खुशी मिल रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) से चित्रकूट से दिल्ली की दूरी तो 3-4 घंटे कम हुई ही है, लेकिन इसका लाभ इससे भी कहीं ज्यादा है। ये एक्सप्रेसवे यहां सिर्फ वाहनों को गति नहीं देगा, बल्कि ये पूरे बुंदेलखंड की औद्योगिक प्रगति को गति देगा।