साल 2021 का अंत आते ही भारतीय रूपया एशियाई बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। इतना ही नहीं देश के शेयर बाजार से भी विदेशी निवेश घटता जा रहा है। दिसंबर जाते-जाते विदेशी निवेश के और कम होने के आसार हैं।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में भारतीय मुद्रा को लेकर ये बड़ी बात कही गई है।
अक्टूबर से दिसंबर वाली तिमाही में रुपए में 1.9% की गिरावट आई है क्योंकि वैश्विक फंड यानी कि विदेशी निवेश ने देश के शेयर बाजार से 4.2 बिलियन डॉलर की पूंजी वापस निकाल ली, जो इस क्षेत्र के किसी भी बाज़ार से वापस ली गई पूंजी के मामले में सबसे अधिक है।
ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के साथ लगातार बढ़ता दबाव भारतीय शेयर बाज़ार में साफ़ दिख रहा है, विदेशी शेयर होल्डर अपना निवेश लगातार वापस निकाल रहे हैं।
इसके अलावा व्यापार में रिकॉर्ड घाटा और रिजर्व बैंक की फेडरल रिजर्व को लेकर नीतिगत भिन्नता ने भी रुपए की क़ीमत पर खासा प्रभाव डाला है।
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