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Savitribai Phule: पितृसत्ता को हर कदम पर चुनौती देने वाली समाजसेवी सावित्रीबाई फुले की जयंती आज

Savitribai Phule
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Savitribai Phule: इतिहास में दमन को कितने तरीके से परिभाषित किया गया? मनुवाद? सामंतवाद? या नारीवाद? … लेकिन हर युग में कोई न कोई इस दमन पर अपनी चुप्पी तोड़ता ही है। 17वीं शताब्दी में एक महिला ने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की, उस महिला को हम सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले के नाम से जानते हैं। सावित्रीबाई फुले एक मराठी कवियत्री थी। उन्होंने महिलाओं और उसके उत्थान के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए। स्त्रियों को सशक्त बनाकर उनके मन में स्त्री अधिकारों और शिक्षा के प्रति नई चेतना जगाने वाली सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले की आज जन्मतिथि है।

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सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। उनका विवाह ज्योतिबा फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले को भारत की प्रथम महिला शिक्षिका के तौर पर जाना जाता है। कहते हैं कि जब सावित्रीबाई महिलाओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच साड़ी बदल लेती थीं। यही कारण है कि सावित्रीबाई फुले अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।

सावित्रीबाई फुले ने अपने पूरे जीवनकाल में छुआछूत मिटाना, विधवा विवाह, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाने पर जोर दिया। 1848 में अपने जन्मदिन के दिन उन्होंने पुणे में एक बालिका विद्यालय खोला, जिसके लिए उन्हें तब की सरकार ने सम्मनित भी किया था। 

प्लेग महामारी में मरीजों की सेवा करते हुए बीता अंतिम समय

सावित्रीबाई के जीवन का अंतिम समय भी लोगों की सेवा में बीता। प्लेग महामारी के दौरान मरीजों की सेवा करते हुए इन्हें एक संक्रमित बच्चे से संक्रमण लग गया। प्लेग के संक्रमण के कारण 10 मार्च 1897 का उनका निधन हो गया। लेकिन आज भी नारीवाद के आंदोलनों में महिलाओं के बीच सावित्रीबाई फुले एक आदर्श स्तंभ बनकर खड़ी हैं।

गृह मंत्री ने किया ट्वीट

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सावित्रीबाई फुले की जयंती पर ट्वीट कर लिखा है, ‘स्त्री आंदोलन की सूत्रधार क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले ने स्त्री विरोधी कुरीतियों को ध्वस्त कर समाज में नई चेतना व महिलाओं में शिक्षा की ज्योति जगाने हेतु आजीवन संघर्ष किया। महिला सशक्तिकरण को समर्पित उनका जीवन राष्ट्र की प्रेरणा का केंद्र है। उनकी जयंती पर उन्हें कोटिशः वंदन’।


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