पहली जनवरी को गलवान में चीन मीडिया के शेन शिवेई ने अपनी सेना की धुन पर ट्विटर पर एक प्रोपेगेंडा वीडियो पोस्ट किया. बगैर असलियत जाने भारत का विपक्ष केंद्र सरकार, विदेश विभाग से सवाल पूछने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 56 इंच के सीने पर भी कमेंट करने लगा. विपक्ष का बयान चीन का उत्साह बढ़ाने वाला और भारत सरकार और उससे भी ज्यादा भारतीय सेना का मान घटाने वाला था. बल्कि यूं कहा जाए तो चीन जान-बूझ कर इस तरह का प्रोपेगेंडा वीडियो डालता है क्योंकि वो जानता है कि भारत में उसके झूठ को लपकने के लिए कई राजनीतिक दल मौजूद हैं.
इन राजनीतिक दलों के अपने भाड़े के पत्रकार भी हैं जो झूठ को इतना फैलाने का काम करते हैं कि वो सच लगे. कांग्रेस यहां पर शूट एंड स्कूट नीति अपनाती है. वो मोदी सरकार पर अनर्गल आरोप लगाती है और उनका मीडिया तंत्र उसे इस तरह से प्रचारित करने में लग जाता है कि लोगों को उनका दिखाया हिस्सा ही सच लगने लगता है. जब इसका सरकार की तरफ से जवाब आता है तो उसे पूरी तरजीह नहीं मिलती.
बेवजह विवाद होने पर भारतीय सेना ने जवाब में गलवान घाटी में तिरंगा फहराया और उसका वीडियो पोस्ट कर विपक्षी दलों का मुंह बंद किया. सीधे मुंह पर थप्पड़ पड़ने के बाद कांग्रेस भी फटे को सीने में लग गई. उनके प्रवक्ताओं का दूसरा सेट सामने आया जो सेना की बुराई नहीं करने और चीन के प्रोपेगैंडा वीडियो को गंभीरता से नहीं लेने की बात करने लगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया, “भारतीय मीडिया से आग्रह करूंगा कि चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी (CCP) और चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के प्रचार तंत्र को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. वे और कुछ नहीं, विशेष रूप से डिजिटल युग में एक पूर्ण मजाक है, एक मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन जिसे Google पर खोज कर कुछ मिनटों से आसानी से समाप्त किया जा सकता है।“
दरअसल बीजेपी के किसी भी सरकार पर कांग्रेस बार-बार चीन की जमीन कब्जाने का आरोप लगाती है. इसके पीछे कांग्रेस की अपनी हीन भावना है. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के दौरान कांग्रेस की वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर लगातार चीन से हार कर या दोस्ती में भारत की जमीन दान करने का आरोप लगता रहा है. लाख कोशिशों के बावजूद कांग्रेस अपने ऊपर से अक्साई चिन और दूसरी जमीनों को चीन को देने का कलंक मिटा नहीं पा रही है.
जून-अगस्त 2017 में जिस वक्त डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने थे, तब एक पार्टी के ‘युवराज’ परिवारजनों समेत भारत में चीन के राजदूत से मुलाकात की. पहले उन्होंने इस तथ्य को नकारा मगर बाद में मीडिया में उसकी तस्वीरें वायरल होने पर माना. जिस वक्त भारतीय सेना चीन से लड़ रही थी उस वक्त चीन के अधिकारियों से मिलने पर एमओयू की बात भी सामने आई.
अब लौटते हैं चीन के गलवान प्रोपेगेंडा वीडियो पर! वीडियो में चीन ने खुद कहीं दावा नहीं किया है कि वो भारत की धरती पर अपनी सेना की धुन पर नये साल का जश्न मना रहा है, मगर कांग्रेस की अगुवाई में भारत का विपक्ष तुरंत भारत सरकार और विदेश विभाग से सवाल पूछने लगा. पीएम की छाती की नाप बताने लगा. सवाल भी ऐसे जो सीधे-सीधे सरकार की जगह सेना का मान घटाते दिख रहे थे. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बजाप्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं। गलवान घाटी में अपना झंडा फहरा कर चीन ने दुस्साहस किया है. वहां पर केवल तिरंगा फहराया जाना चाहिए. चीन ने हमारी जमीनों पर कब्जा किया हुआ है, अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के नाम बदल दिये हैं. प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? चीन को लाल आंखें दिखाकर कब बात करेंगे? सामने आ कर जवाब दीजिए और उन्हें हमारी जमीन से खदेड़ कर दिखाइए.”
खुद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है. चीन को जवाब देना होगा. मोदी जी चुप्पी तोड़ो.” इसके बाद ही कांग्रेस के सभी प्रवक्ता और छुटभैये नेता तक सीधे प्रधानमंत्री पर हमले करने लगे। इस बात से अन्जान कि पीएम मोदी और मोदी सरकार पर हमले कर वो सेना की बदनामी कर रहे हैं. वो मान रहे हैं कि भारतीय सेना चीन से हार गई और चीन ने भारतीय जमीन पर अपना झंडा लगा कर जश्न मनाया. इसके बाद सच्चाई सामने आने के बाद अभिषेक मनु सिंधवी जैसे नेता थूके को चाट रहे हैं.
चीनी मीडिया के ट्विटर पर पोस्ट किया गया वीडियो है तो गलवान का ही मगर उस जगह का नहीं जहां पर भारत और चीन के बीच संघर्ष हुआ था. ये वीडियो चीन के तरफ की गलवान घाटी का है, भारत की तरफ का नहीं.
सबसे बड़ी बात है कि भारत का विपक्ष कब परिपक्व होगा? इससे पहले भी विपक्ष बार-बार झूठी खबरों को उठा कर सरकार पर हमला करता रहा है. बीते साल नवंबर में कांग्रेस ने दावा किया कि चीन छह-सात किलोमीटर भारत की जमीन के अंदर आकर बैठा हुआ है. अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के मैक्सर और प्लैनेट लैब्स की सेटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से ये आरोप लगाए गए. चीन के अरुणाचल में गांव बसाने का भी आरोप लगा. अरे भाई, चीन अपनी तरफ गांव बसाए या सेना लाए, वो उसकी अपनी तैयारी है.
भारत में मौजूद भारत विरोधी तत्वों को ये पता होना चाहिए कि कुछ साल पहले ही गलवान में संघर्ष में केवल डंडों से लड़ाई में भारतीय सेना ने 45 चीनी सैनिकों को मार कर घाटी में बहती नदी में गिरा दिया था. गलवान में अग्नेयास्त्र चलाना मना है क्योंकि वहां पर राइफल की गोली से बर्फ तेजी से खिसकने लगती है. एक-एक भारतीय सैनिक ने तीन-तीन, चार-चार चीनी सैनिकों के गर्दन मरोड़ कर मौत के घाट उतार दिया था.
असलियत यह है कि चीन जानता है कि वो भारत से सैन्य कार्रवाई करके पार नहीं पा सकता. अगर भारत को नुकसान होगा तो भारत भी चीन की ऐसी हालत कर देगी कि वो सौ साल पीछे चला जाएगा. ऐसे में प्रोपेगेंडा वीडियो ही उसका सहारा है. कुछ साल पहले भी चीन ने एक प्रोपेगेंडा वीडियो भेजा था जिसमें अत्याधुनिक मिसाइल और हथियार दिख रहे थे. गौर से देखने पर वो हवा में हिलते दिखे क्योंकि दरअसल वो मिसाइल का गुब्बारा था मिसाइल नहीं.
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