Advertisement

कब बेपर्दा होगा स्टॉक मार्केट का “हिमालयी बाबा”  

Chitra Ramakrishnan
Share
Advertisement

पंकज चौधरी  

Advertisement

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण को को-लोकेशन घोटाला मामले में सात दिन की हिरासत में रखने की अनुमति दे दी है. 

सीबीआई चित्रा रामकृष्ण को 14 दिनों के रिमांड पर लेना चाहती थी ताकि मुख्तलिफ एजेंसियों के सामने उन्हें पेश कर उस रहस्यमयी हिमालयी बाबा के बारे में कुछ जाना जा सके. गौरतलब है कि, चित्रा रामकृष्ण को तमाम अनियमितताओं के मद्देनज़र  सीबीआई ने रविवार को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया था.  

कौन है चित्रा रामकृष्ण 

एक समय था जब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की इस सुप्रीमो को बतौर “बाजारों की रानी”  पुकारा जाता था. हमेशा ही कांजीवरम साड़ी पहने रामकृष्ण को दुनिया की 50 सबसे शक्तिशाली महिला व्यवसायियों की फॉर्च्यून सूची में शामिल किया गया था. भारत से इस सूची में मात्र चार भारतीय महिला शामिल हैं. इतना ही नहीं, कर्नाटक संगीत की प्रेमी और वीणा-वादन के लिए एक जुनून रखने वाली चित्रा रामकृष्ण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक स्टॉक एक्सचेंज का नेतृत्व करने वाली तीसरी महिला थीं. 

रामकृष्ण एनएसई की स्थापना के बाद से ही इसका हिस्सा थीं. उन्हें इनसाइडर-ट्रेडिंग अनियमितताओं के आरोप में हटा दिया गया था. शुरूआती जाँच के बाद ये पता चला कि उन्होंने नियामक प्राधिकरण सेबी की छतरी के ठीक नीचे बैठ जबरदस्त कमाई की. उनपर घोर कदाचारअपने पोजिशन का दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितता जैसे आरोप लगे हैं.  

चित्रा रामकृष्ण ही एक ऐसी शख्स थी जिन्होंने सरकार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पास पड़े कोष को शेयर बाजारों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया था. बाद में सरकार ने उनकी सिफारिश पर अमल किया.  

रहस्यमयी हिमालयी बाबा  

चित्रा रामकृष्ण को गिरफ्तार करने से पहले आयकर विभाग ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम के ऑफिस परिसरों की तलाशी ली थी. आनंद सुब्रामण्यम वही हैं जिनकी नियुक्ति एक कथित “हिमालयी योगी” के ई-मेल के बाद की गई थी. कहते हैं कि हिमालयी बाबा ने चित्रा को एक ई-मेल लिखकर कहा था कि आनंद की नियुक्ति की जाए. इसके बाद उसके वेतन बढ़ाने की भी संस्तुति “हिमालयी बाबा” ने की थी.   

बहरहाल, चित्रा रामकृष्ण ने पूछताछ में बताया कि वो इस “हिमालयी योगी” से कभी नहीं मिली क्योंकि उनका कोई शारीरिक रूप नहीं था और वो जब चाहें तब कहीं भी प्रकट हो सकते थे.  लेकिन इस हिमालयी योगी के पास एक ई-मेल आईडी था जिसकी मदद से वो एनएसई के रोजमर्रा के काम-काज में दखल देते थे, चित्रा रामकृष्ण के साथ पत्र-व्यवहार करते और उसे निर्देश भी देते थे.  

ईमेल के जरिए स्टॉक मार्केट हो रहा था संचालित ?

चित्रा रामकृष्ण तमाम गोपनीय सूचनाओं को नियमित रूप से अज्ञात योगी को मेल के जरिए साझा करती थीं. और जो भी मेल बाबा को भेजा जाता था उसे आनंद सुब्रमण्यम को भी कापी कर दिया जाता था. योगी और रामकृष्ण के बीच मेल के आदान प्रदान से पता चलता है कि हिमालयी बाबा नियमित रूप से किसी न किसी को प्रमोशन या “हाई एप्राईजल” देने की संस्तुति किया करता था. चित्रा रामकृष्ण ने जाँच एजेंसियों को बताया कि वो पिछले 20 वर्षों से इस ‘योगी’ से सलाह तो ले रही थीं, लेकिन वह कभी भी उनसे नहीं मिली थीं. उनके अनुसार उनके पास ‘भौतिक” रूप नहीं है लेकिन वो अपनी इच्छा से प्रकट हो सकते हैं. लेकिन फिर भी हिमालयी बाबा के पास एक ईमेल है और वह नियमित रूप से एनएसई प्रमुख से संवेदनशील अंदरूनी जानकारी मांगता है.  

कई ईमेल ऐसे भी थे जिसमें सीईओ की खास लुक को लेकर तारीफ की गई. एक मेल में चित्रा को आकर्षक दिखने के लिए हेयर – स्टाईल बदलने के टिप्स भी दिए गए. कभी सेशेल्स में तो कभी दिल्ली में ‘एनएसई के संचालन पर चर्चा करने के लिए’ एक गुप्त बैठक” करने जैसी बातें…. वगैरह वगैरह . जाहिर है, हर गुजरते दिन के साथ मामला और गहरा होता जाता है. 

फरवरी में इन लोगों पर लगा था जुर्माना

फरवरी में इन लोगों को सजा भी दी गई. जैसे सेबी ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपये और एनएसई, सुब्रमण्यम और एनएसई के पूर्व एमडी और सीईओ रवि नारायण पर 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. इसके आलावा, 6 लाख रुपये का जुर्माना वीआर नरसिम्हन पर लगाया गया, जो एक्सचेंज में मुख्य नियामक और अनुपालन अधिकारी थे. बहरहाल, इन लोगों के लिए 2-3 करोड़ कोई बहुत बड़ी राशि नहीं थी क्योंकि इनकी सालाना कमाई ही 15-20 करोड़ रुपये होती थी. सेबी की इस कार्रवाई को महज लीपा-पोती ही माना गया.  

जाँच एजेंसियों के मुताबिक, इन लोगों ने एक लैपटॉप को नष्ट कर दिया गया था, जिसमें कदाचार से संबंधित महत्वपूर्ण सबूत थे. इतना ही नहीं, गहन जांच से बचने के लिए सभी डिजिटल सबूतों को काफी सावधानी से मिटा दिया गया. सूत्र बताते हैं कि, कुछ ब्रोकरेज हाउसों को रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान संवेदनशील वित्तीय जानकारी दी जाती थी जिससे उनको काफी लाभ हुआ. 

क्या हिमालयी बाबा और आनंद सुब्रमण्यम एक ही शख्स हैं ?

जाँच एजेंसियों के मुताबिक एक मेल को नियमित रूप से दो लोगों को भेजा जाता था – एक तो हिमालयी बाबा खुद होते थे और दूसरे आनंद सुब्रमण्यम. जाँच एजेंसियों ने पाया कि सूचनाओं और मेल के आदान-प्रदान का फायदा आनंद सुब्रमण्यम ही उठाता था. इसलिए जाँच एजेंसियों के कुछ अफसरान का मानना है कि शायद तथाकथित योगी और सुब्रमण्यम एक ही शख्स हैं. रिपोर्टों के अनुसार, सीबीआई ने भी ये माना है कि सुब्रमण्यम ही योगी है.  

2015 तक चित्रा रामकृष्ण स्टॉक एक्सचेंज में सबकी प्रिय थी. फिर एक ट्रेडिंग घोटाला सामने आया और सिंगापुर के एक व्हिसलब्लोअर ने शिकायत की कि कुछ हाई – फ्रिक्वेन्सी वाले कारोबारियों को एमएसई की तरफ से हर सूचनाएं मुहैय्या कराई जाती हैं और यहाँ तक कि उनकी पहुँच सर्वर तक है. और फिर इसके बाद से एनएसई के सीईओ के लिए चीजें मुश्किल होने लगीं. 

साल 2016 में सेबी ने एक जाँच पैनल का गठन किया था. इस जाँच पैनल के गठन के बाद रामकृष्ण और सुब्रमण्यम ने इस्तीफा दे दिया. सेबी को कारपोरेट घपलेबाजी के आरोपों में दम नजर आया था और वो इन दोनों को बर्खास्त करते, इससे पहले ये दोनों इस्तीफा देकर चलते बने. बहरहाल, इस साल फरवरी में, रामकृष्ण और हिमालयी योगी के बीच ईमेल लीक होने पर तमाम वित्तीय कदाचार और इनसाईड – ट्रेडिंग के नए आरोपों के साथ स्टॉक मार्केट में हंगामा खड़ा हो गया.  

बहरहाल, इस स्टॉक बाजार की घपलेबाजी की जाँच में क्या हमारी जाँच एजेंसियाँ उस रहस्यमयी हिमालयी बाबा तक पहुँच पाएगी …जिसने पर्दे के पीछे रहकर 20 सालों तक स्टॉक मार्केट का संचालन किया.  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *