टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत- बड़ी, ख़ास और यादगार।
टोक्यो: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर नया इतिहास रच दिया है। एक ऐसा इतिहास जोकि आने वाली कई पीड़ियों तक याद रखा जाएगा या शायद उससे भी कहीं ज्यादा।
भारत के खेल इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब महिला हॉकी टीम ने सेमी फाइनल में जगह बनाई। सोमवार को खेले गए इस मैच में टीम की तरफ से एकमात्र गोल गुरजीत कौर ने किया। इस एक गोल की बदौलत टीम ने अपनी जगह सेमीफाइनल में पक्की कर ली।
भारत के लिए ये जीत हर लिहाज से ख़ास है। ये एक ऐसा क्षण है जो इन सभी खिलाड़ियों से लेकर कोच, सपोर्ट स्टाफ हर भारतीय के लिए बेहद यादगार रहेगा।
2 अगस्त सोमवार की सुबह प्रत्येक भारतीय का सीना गर्व से ये सुनकर चौड़ा हो गया कि महिला हॉकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया जैसी धुरंधर को हराया।
हिंदुस्तान से मीलों दूर जापान के टोक्यो शहर की गहरी नीली टर्फ पर आसमानी नीली जर्सी पहने इन बहादुर लड़कियों ने सपने को हकीकत में तब्दील किया। लोग कहते हैं कि सुबह देखे हुए सपने अक्सर सच होते हैं लेकिन किसी ने ये कभी नहीं सोचा होगा कि कुछ हकीकतें सपने जैसी भी होती हैं। जिन्हें तस्लीम कर पाना इतना आसान नहीं होता मगर इस सपने जैसी हकीकत के पीछे सालों की मेहनत, त्याग, संघर्ष और लगातार कोशिशें होती हैं।
शून्य से एक बदलने की खुशी
सोमवार को मैच की पहली सीटी से ही पूरे मैदान में हर तरफ नीली जर्सी अपना दम दिखाती रही। जिन लड़कियों के नाम इस ओलंपिक में सबसे ख़राब पेनल्टी कॉर्नर का रिकॉर्ड दर्ज था, आज उन्हें केवल एक पेनल्टी कॉर्नर मिला और उन्होंने उस मौक़े को जाने नहीं दिया।
आज हॉकी टीम तीन बार की ओलंपिक चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से आगे थी। वो पल बेहद ख़ास थे जब स्कोर बोर्ड पर शून्य के आगे एक लिखा जा रहा था। ये पल खुशी के थे, लेकिन साथ में आंसूं भी थे। जिन्हें खुशी के आंसूं कहा जाता है।
कॉपी- आरती अग्रावत