नई दिल्ली: इस 15 अगस्त को भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पुरे हो जाएंगे। हमारा देश जो आज विकासशील कहलाता है कभी अंग्रेज़ी हुकूमत का उपनिवेश हुआ करता था। उपनिवेश यानी ग़ुलामी जहां बड़े और ताकतवर देश छोटे देशों पर कब्ज़ा कर उस पर राज करते हैं। आज़ादी की लड़ाई में हमने कई आहूतियां भी दी और कुछ लोगों ने तो अपना सर्वस्व तक न्योछावर कर दिया।
आइए जानते हैं ब्रिटिश सरकार के ग़ुलाम होने से संप्रभु होने तक का सफर। देश में 1930 में ही आज़ादी का ऐलान कर दिया गया था। लेकिन हमें पूर्णतः आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिली और उस दिन को हम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन हम 15 अगस्त को ही क्यों आज़ादी मनाते है? दरअसल इसका संबंध उस कानून से है जिसके द्वारा हमें आज़ादी मिली थी। हमें आजादी ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947’ के तहत मिली थी। इस एक्ट को ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों से 18 जुलाई 1947 को पास करवा लिया गया, जिसमें लिखा था कि भारत के आज़ाद होने की तारीख 15 अगस्त 1947 होगी।
ये एक्ट था जिसे ब्रिटिश संसद ने हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स से पास करवाया था। इस एक्ट के लागू होने से भारत में वायसराय के पद की समाप्ति हुई। तब भारत में ब्रिटेन सरकार का एक प्रतिनिधि होता था जिसे भारत में वायसराय नियुक्त किया जाता था। तब ब्रिटिश भारत की एक परंपरा थी, जो भारत का वायसराय होगा वही भारत का गवर्नर-जनरल भी होगा।
एक्ट में ब्रिटिश साम्राज्य का भारत पर उपनिवेश खत्म कर के इसे 2 डोमिनियन में बांटा गया- भारत और पाकिस्तान। डोमिनियन का अर्थ होता है किसी ताकतवर राष्ट्र का दूसरे कमज़ोर राज्य पर प्रतीकात्मक रूप से आधिपत्य ज़ाहिर करना। लेकिन इसी एक्ट में हमारे संविधान सभा को ये शक्ति भी दी थी कि हम खुद को डोमिनियन राज्य से हटाकर संप्रभु राज्य बना सकें। इसके साथ ही इस एक्ट को खारिज करने की भी शक्ति हमारे संविधान सभा को दे दी गयी। हमारा संविधान जब तक बनकर पूरा नही हो गया तब तक यहां पर गवर्नर-जनरल की शासन व्यवस्था बनी रही।
भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी जी बने। उसके बाद भारत के तत्कालीन संविधान सभा के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र प्रसाद को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया। 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान बन कर तैयार हो गया, लेकिन इसे लागू करने की तिथि 26 जनवरी 1950 रखी गयी। 26 जनवरी के दिन संविधान लागू करने का कारण ये था कि 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ये प्रण लिया गया था कि 26 जनवरी को हम अंग्रेज़ों से आज़ादी लेंगे मगर आज़ादी मिली 17 बरस बाद और तारीख थी 15 अगस्त 1947।
भारत के स्वतंत्र होने के बाद ही भारत के राजनेताओं ने एक गणतंत्र राष्ट्र का सपना देखा और भारतीय समाज को एकजुट रखने के लिए गणतंत्र राष्ट्र के स्थापना की नींव डाली। आप सोच रहे होंगे कि स्वतंत्रता दिवस पर गणतंत्र की बात क्यों? दरअसल पूरी तरह से गणतंत्र होने को ही स्वतंत्र होना कहते हैं।
गणतंत्र होने का अर्थ है प्रकियात्मक रूप से उस राज्य के प्रमुख का चुनाव जनता के द्वारा हो, उस राज्य में कोई वंशानुगत परंपरा न हो, सारे कार्यालयों में जनता के काम करने की बराबरी का अनुपात हो। लेकिन क्या इतना भर हो जाने से हम गणतंत्र कहलायेंगे?
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