नई दिल्ली: हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी का आज निधन हो गया. वह 91 वर्ष की थीं.
उनका जन्म मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में 3 अप्रैल, 1939 को हुआ था. मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। साहित्य लेखन के लिए उन्होंने अपना नाम मन्नू रख लिया था। एम.ए तक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने दिल्ली के मिरांडा हाउस में बतौर अध्यापिका अपनी सेवायें दी।
बता दें कि उनकी पहचान पुरुषवादी समाज पर चोट करने वाली लेखिका के तौर पर होती थी. ‘महाभोज’ और ‘आपका बंटी’ जैसी कालजयी रचनाओं की वो लेखिका हैं । इन रचनाओं को हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। प्यार, शादी, तलाक और वैवाहिक रिश्ते के टूटने-बिखरने की कहानी है “आपका बंटी “ । इस कहानी पर “ समय की धारा” फिल्म भी बनी थी। उनकी कहानी ‘यही सच है’ पर 1974 में ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनाई गई थी। फिल्म के निर्माता बासु चटर्ती थे।
उनकी चर्चित कहानियों में, एक प्लेट सैलाब , मैं हार गई , तीन निगाहों की एक तस्वीर,यही सच है ,त्रिशंकु, आंखों देखा झूठ, अकेली शामिल है। इसके अलावा उन्होंने एक नाटक ‘बिना दीवारों का घर’ (1966) भी लिखा था।
मन्नू भंडारी साहित्यकार व हंस पत्रिका के संपादक मरहूम राजेन्द्र यादव की जीवनसंगिनी थी। हालांकि, शादी के दशकों बाद दोनों अलग हो गए. राजेंद्र यादव के आखिरी वक्त तक दोनों अलग ही रहते थे.
मन्नू भंडारी जी को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसमें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान सम्मान शामिल हैं।
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