भारत में साइबर अटैक 31 देशों में मुल्जिमों की तलाश

भारत में साइबर अटैक
3 साल पहले भारत के एक बैंक में ऐसा साइबर अटैक हुआ था जिसका संबंध 31 देशों से है। हैकरों ने कुछ इस तरह से एक बैंक के करोड़ों रुपये पर हाथ साफ किया था कि साइबर अटैक की दुनिया में हलचल मच गई थी। तीन साल से चल रही जांच अब साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन की दुनिया का नजीर बन सकती है। इस मामले में पुलिस के हाथ 18 लोग लग चुके हैं मगर पूरी साजिश का खुलासा होना अभी बाकी है।
पुणे के एक कॉपरेटिव बैंक में हुए घोटाले के लिए 31 देशों की मदद ली जा रही है। इनमें अमरीका और कनाडा भी शामिल है। मामला पुणे के बैंक से 94 करोड़ से ज्यादा पर हाथ साफ करने का है। हैकरों की मदद से इस वारदात को 2018 में अंजाम दिया गया था। ऑनलाइन फ्रॉड का यह मामला पुणे स्थित कॉसमस कॉपरेटिव बैंक के मुख्यालय का है।
यह मामला इसलिए काबिले गौर है क्योंकि हैकरों ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए 5 हजार क्लोन कार्ड का इस्तेमाल किया था। यही नहीं संभवतः दुनिया में पहली बार हैकरों ने पैसा निकालने के लिए कैरियर एजेंट भी भारी संख्या में भाड़े पर लिया था।
क्लोन कार्ड का इस्तेमाल
क्लोन कार्ड का इस्तेमाल कर भारत सहित 32 देशों में एक ही दिन में कैश निकाले गए थे। कैश निकालने के लिए 100 से ज्यादा लोगों का इस्तेमाल किया गया था। इन लोगों को एटीएम से पैसे निकालते वक्त ये मालूम ही नहीं था कि वह बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा बनने जा रहे हैं। पुलिस बुल्गारिया, संयुक्त राज्य अमीरात(यूएई), हांगकांग, तुर्की, पोलैंड, फ्रांस, इजरायल, यूक्रेन आदि देशों से मदद मांगने वाली है। इसके लिए पुणे पुलिस की साइबर सेल ने विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा है। वह मामले से संबंधित जानकारी लेने में मदद चाहती है। उसे 31 देशों से मामले की जानकारी चाहिए। यह वह देश हैं जहां क्लोन कार्ड के जरिए कैश निकाला गया। अमरीका से उसी साल हुए साइबर हमलों के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया गया है।
गौरतलब है कि साइबर हमलों के बारे में जांच करते हुए अमेरिकी एजेंसियों को पता लगा था कि 2018 में हुए हमलो में उतरी कोरिया की खुफिया एजेंसी रिकानिसेंस जनरल ब्यूरो (Rcb) के लिए काम करने वाले एजेंट शामिल थे। 2016 में बांग्लादेश के बैंक से 81 मिलियन डॉलर पर हाथ साफ करने का संदेह भी उन्हीं पर किया जाता है। इस मामले में अमरीकी एजेंसियों ने दोहरी नागरिकता रखने वाले एक नागरिक के खिलाफ आरोप लगाए थे। आरोप था कि इसी शख्स ने उत्तरी कोरिया के खुफिया एजेंटों के लिए पैसे स्थानांतरित किए। इस मामले में अमरीकी कोर्ट ने इस शख्स को सजा भी दी।
अमरीकी जानकारी अहम
पुणे पुलिस का मानना है कि अमरीका से मिली जानकारी काफी अहम हो सकती है क्योंकि अमरीकी एजेंसियां कॉसमस बैंक में हुए मामले के समान मामले की जांच कर रही है। अमरीकी एजेंसियों की जांच उतरी कोरिया की खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले तीन लोगों पर केंद्रित थी। इन तीनों पर साल 2018 में दुनिया भर में साइबर हमले की साजिश रचने का संदेह है।
पुणे पुलिस ने केंद्र को यूएई के लिए एक प्रत्यर्पण अनुरोध भी भेजा है। यह अनुरोध यूएई में पकड़े गए सुमेर शेख नामक शख्स को भारत लाने के लिए है। उसके खिलाफ यूएई में इसी साल मार्च में मामला दर्ज हुआ था। पुलिस को सुमेर से इस मामले के कई सुराग मिलने की उम्मीद है।
यह है मामला
गौरतलब है कि 11 अगस्त 2018 को शाम 3 से 5 बजे के बीच बैंक के कंप्यूटराइज्ड एटीएम हैक किए गए और भारत सहित 31 देशों में 80.05 करोड़ रु नकद निकाल लिए गए। इसके दो दिन बाद सुबह 11.30 बजे स्वीफ्ट सुविधा के माध्यम से 13.92 करोड़ रुपये हांगकांग में निकाल लिया गया। बाद में पुणे पुलिस और विदेश मंत्रालय की अथक कोशिश के बाद हांगकांग की कोर्ट ने गत फरवरी में 5.72 करोड़ वापस करने का निर्देश दिया है।
संदेह है कि कॉसमस बैंक के 5 हजार क्लोन कार्ड की मदद से दुनिया भर के 12 हजार एटीएम से 78 करोड़ रुपये निकाले गए। इसके अलावा 2.5 करोड़ के लिए 2849 ट्रांजक्शन देश के मध्य प्रदेश राजस्थान औऱ महाराष्ट्र के एटीएम की मदद ली गई। पुणे पुलिस ने इस सिलसिले में 18 लोगों को गिरफ्तार किया। हैकरों ने इस घोटाले के लिए डाटा खरीदकर रुपे और वीजा कार्ड की जानकारी ली थी। बहरहाल दुनिया के 32 देश इस मामले को सुलझाने के लिए आपसी तालमेल का सहारा ले रहे हैं मगर साइबर क्राइम की दुनिया में यह सबसे बड़ा अटैक माना जा रहा है। विशेषज्ञों को भविष्य में होने वाले इस तरह के हमलों से बचाव का रास्ता फिलहाल नहीं सूझ रहा है।