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73rd Republic Day: गणतंत्र की परिभाषा, जानें अब तक कितने गणतंत्र हुए हम

गणतंत्र

Photo: DD National

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हमारा देश जो आज विकासशील कहलाता है कभी अंग्रेज़ी हुकूमत का उपनिवेश हुआ करता था। उपनिवेश यानी ग़ुलामी जहां बड़े और ताकतवर देश छोटे देशों पर कब्ज़ा कर उस पर राज करते हैं। आज़ादी की लड़ाई में हमने कई आहूतियां भी दी और कुछ लोगों ने तो अपना सर्वस्व तक न्योछावर कर दिया तब जाकर हम परतंत्र से स्वतंत्र और फिर गणतंत्र हुए।

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पूरा देश आज 73 वां गणतंत्र दिवस धूमधाम के साथ मना रहा है। राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधताओं की झलक देखने को मिलती है।

क्या है गणतंत्र ?

गणतंत्र होने का अर्थ है प्रकियात्मक रूप से उस राज्य के प्रमुख का चुनाव जनता के द्वारा हो, उस राज्य में कोई वंशानुगत परंपरा न हो, सारे कार्यालयों में जनता के काम करने की बराबरी का अनुपात हो।

दरअसल ज्यादातर लोगों का मानना है कि 26 जनवरी को संविधान लागू होने की वजह से गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, लेकिन ये एकमात्र कारण नहीं है। 26 नवंबर 1949 को हमारा संविधान बन कर तैयार हो गया, लेकिन इसे लागू करने की तिथि 26 जनवरी 1950 रखी गयी। 26 जनवरी के दिन संविधान लागू करने का कारण ये था कि 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में ये प्रण लिया गया था कि 26 जनवरी को हम अंग्रेज़ों से आज़ादी लेंगे मगर आज़ादी मिली 17 बरस बाद और तारीख थी 15 अगस्त 1947।

अब तक कितने गणतंत्र हुए हैं हम ?

‘राज्य के प्रमुख का चुनाव जनता के द्वारा हो, उस राज्य में कोई वंशानुगत परंपरा न हो, सारे कार्यालयों में जनता के काम करने की बराबरी का अनुपात हो’ क्या इन शर्तों को पूरा करने से हम गणतंत्र कहलाएंगे ?

दरअसल गणतंत्र राज्य की आत्मा को प्रकियात्मक रूप से जांच करने के बाद हम तात्विक रूप से देखेंगे तब एक बड़ा अंतर आपको देखने को मिलेगा। तात्विक रूप से हम 3 बिंदुओं पर देखेंगे कि हम कितने गणतंत्र हैं। राजनीति, न्याय तंत्र, और समाज, इन तीनों बिन्दुओं में हम पाएंगे कि वंशानुगत परंपरा आज भी निहित है।

राजनीति में आज भी वैसे लोग चुन कर आते हैं जिनकी मूल चेतना राजनीति नही लेकिन क्योंकि उनके परिवार में राजनीति का ही चलन है तब ऐसी स्थिति में वे लोग भी इसमें आ जाते हैं जिनकी राजनीति या जनता में राजनेता जैसा पैठ नही होता है। एक हद्द तक न्याय तंत्र में भी ऐसा ही वंशवाद देखने को मिलेगा। कुछ ऐसे परिवार जिनके लोग पीढ़ियों से इस तंत्र पर कब्ज़ा किये हुए हैं और कॉलेजियम सिस्टम यहां पर धाराशायी हो जाता है।

अंतिम बिंदु हमारा समाज है जिसमें लोगों का वर्ण उनके जन्म से तय होता है, उनको क्या करना है, कितने उच्च और कितने निम्न हैं ये उनके जन्म से तय होता है। जब इतनी बातें एक गणतंत्र राष्ट्र में हो रही हों तब पता चलता है कि हम प्रक्रियात्मक रूप से तो गणतंत्र हैं परंतु तात्विक रूप से गणतंत्र राज्य की कल्पना अभी थोड़ी और बाकी है।

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