निकाय चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। राजनीति में जाति समीकरण का विशेष महत्व है, सरल शब्दों में कहें तो सियासत में जाति जाने अनजाने एक अंग जैसा है। सूत्रों से मिली जानकारी के हिसाब से निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में शनिवार को भी सुनवाई हुई। इसी कड़ी में याची पक्ष व सरकारी पक्ष के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की हैं। अब तक की मिली सूचना के अनुसार दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। निर्णय 27 दिसंबर को सुनाया जाएगा।
खबर तो ये है कि शुक्रवार के दिन समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी। न्यायमूर्ति(Judge) देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ में बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है, इसको लेकर देश में विचारों के दो धड़े सामने आए। एक तरफ पैरवी थी आरक्षण की तो एक तरफ कुछ लोगों का मानना है कि ये आरक्षण जाति को आधार बनाकर राजनीतिक रोटियां सेकना है। फिलहाल ये तो आने वाला समय बताएगा कि आखिर कि कोर्ट किसके पक्ष में फैसला सुनाएगा।
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