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यूक्रेन का स्वतंत्रता दिवस आज, जानिए सोवियत संघ में कैसे शामिल हुआ यूक्रेन

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24 अगस्त 1991 यानी आज से ठीक 31 साल पहले यूक्रेन ने सोवियत रूस से आजादी का ऐलान किया था। यूक्रेन का स्वतंत्रता दिवस हर साल यह दिन धूमधाम से मनाया जाता रहा है लेकिन इस बार जश्न की उमंग की जगह यूक्रेनी लोगों के दिलों में दहशत व्याप्त है। वहीं यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस और इस पर रूसी हमले के छह महीने पूरे हो गए है। यह जंग अब भयानक रूप लेती जा रही है। यूक्रेन के कई शहरों को रूस ने लगभग खंडहर में बदल दिया है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर क्यों लड़ रहे रूस और यूक्रेन और क्या है इनका प्राचीन इतिहास।

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सोवियत संघ में दरार से पहले का Russia और यूक्रेन कैसा था?

सोवियत संघ के विघटन से पहले भी Russia और यूक्रेन काफी मजबूत थे। 1991 में सोवियत संघ के विघटन से पहले यूक्रेन में जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें यूक्रेन के लोगों से पूछा गया था कि वो सोवियत संघ का हिस्सा बने रहना चाहेंगे या अलग देश बनना चाहेंगे। तब 92 प्रतिशत लोगों ने यूक्रेन को अलग देश बनाने के लिए अपना मत दिया था। ये जनमत संग्रह उस समय के सोवियत नेता मिखायल गोर्बाचोफ (Mikhail Gorbachev) ने कराया था। लेकिन आज के Russia में पुतिन यूक्रेन को चुनौती दे रहे हैं।

सोवियत संघ में कैसे शामिल हुआ यूक्रेन

यूक्रेन, पूर्वी यूरोप में स्थित देश, रूस के बाद यूरोपियन महाद्वीप पर दूसरा सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन की आधुनिक अर्थव्यवस्था को सोवियत संघ की बड़ी अर्थव्यवस्था के अभिन्न अंग के रूप में विकसित किया गया था। यूक्रेन औद्योगिक का एक बड़े हिस्से का उत्पादन करने में सक्षम था। पोलैंड-लिथुआनिया, रूस और सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ द्वारा लगातार वर्चस्व की लंबी लड़ाई के बाद यूक्रेन पूरी तरह से स्वतंत्र 20 वीं शताब्दी के अंत में उभरा। यूक्रेन ने 1918-20 में स्वतंत्रता की एक संक्षिप्त अवधि का अनुभव किया था, लेकिन दो विश्व युद्धों के बीच के समय में पश्चिमी यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर पोलैंड, रोमानिया और चेकोस्लोवाकिया का शासन था, और उसके बाद यूक्रेन यूक्रेनी सोवियत समाजवादी के रूप में सोवियत संघ का हिस्सा बन गया।

सोवियत- रूस कैसे टूटा

सोवियत संघ USSR1917 में बना था जिसका विघटन 1991 में क्रिसमस के दिन यानी 25 दिसंबर को हुआ था। 1922 में लेनिन के नेतृत्व में दूर दराज के राज्यों को रूस में मिलाया गया और आधिकारिक रूप से USSR की स्थापना हुई। यूएसएसआर के प्रमुख व्लादीमिर लेनिन थे। 15 राज्यों को मिलाकर सोवियत संघ बना था। जार की तानाशाही को समाप्त करके सोवियत संघ ने लोकतंत्र बनने का प्रयास किया था।

लेकिन आखिरकार तानाशाही की स्थापना हुई, जिसमें सबसे प्रमुख तानाशाह स्टालिन हुए। सोवियत संघ में उन दिनों नौकरशाही हावी थी। दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ महाशक्ति के रूप में उभरा। सोवियत संघ ऐसा साम्राज्य था जिसने हिटलर को परास्त किया, जिसने अमरीका के साथ शीत युद्ध किया और परमाणु होड़ में हिस्सा लिया।

1979 के दौर में सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में हस्तक्षेप किया, जिससे इसकी व्यवस्था और कमजोर हो गई थी। उन दिनों सोवियत संघ के तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोफ इस व्यवस्था को सुधारना चाहते थे। सोवियत संघ के विघटन के कारण तो कई थे, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण राष्ट्रपति मिखाइल खुद थे मिखाइल गोर्बाचोफ ने सरकार का नियंत्रण कम करना और ग्लासनोस्त नाम की दो नीतियां शुरू की। मिखाइल गोर्बाचोफ की सुधार नीतियों का कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया था। 9 अगस्त 1991 के दिन केजीबी प्रमुख समेत आठ कम्युनिस्ट अधिकारियों ने सोवियत नेता मिखाइल गोर्बोचेफ को सत्ता से बेदखल कर दिया और एक आपात समिति का गठन किया। इस मुहिम के बाद गोर्बोचेफ को हिरासत में ले लिया गया था।

तख्तापलट और गोर्बोचेफ को हिरासत में लेने की मॉस्को में बोरिस येल्तसिन की कोशिश नाकाम हो गई थी। क्योंकि आम नागरिक प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन इसका नतीजा ये हुआ कि मिखाइल गोर्बाचोफ का असर खत्म हो गया और रूसियों के बीच बोरिस येल्तसिन अधिक स्वीकार्य नेता बनकर उभरे। तख्तापलट की कोशिश के बाद बहुत से लोगों को ये लगा कि सोवियत संघ का अंत करीब आ गया है, लेकिन गोर्बाचोफ समेत कुछ लोग ये मानते थे कि संप्रभु राष्ट्रों के एक नए तरह के संघ के जरिए सोवियत संघ को बचाया जा सकता था।

8 दिसंबर, 1991 को रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने सोवियत संघ के 15 घटक देशों में से तीन नेताओं के साथ मुलाकात की। उन्होंने जो साझा बयान जारी किया था उसे बेलावेझा समझौता कहते हैं।

21 दिसंबर को बचे हुए 12 सोवियत देशों में 8 देश अल्मा-अता प्रोटोकॉल पर दस्तखत करके इस राष्ट्रमंडल में शामिल हो गए। इसके बाद सोवियत संघ के बचने की रही सही संभावना भी खत्म हो गई। इसके बाद गोर्बाचोफ को ये एहसास हो गया कि उनका दौर खत्म हो गया था।

25 दिसंबर, 1991 को सोवियत संघ के तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोफ ने कहा कि सोवियत संघ के राष्ट्रपति के तौर पर मैं अपना काम बंद कर रहा हूं। इसके साथ ही सोवियत संघ का विघटन हो गया। 25 दिसंबर 1991 की शाम को सोवियत संघ के रेड फ्लैग की जगह रूस के पहले राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की अगुवाई में रूसी संघ का झंडा लहरा दिया था।

दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिस्ट देश के विघटन के साथ ही 15 स्वतंत्र गणराज्यों- आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाखस्तान, कीर्गिस्तान, लातिवा, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उज्बेकिस्तान का उदय हुआ।

यह भी पढ़ें: https://hindikhabar.com/big-news/armenia-azerbaijan-war/

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