Advertisement

साधु–संत को आग छूने की होती है मनाही, जानिए समाधि देने के सभी तरीके

Share

संत परंपरा के अनुसार उन्हें सोमवार को झोतेश्वर के परमहंसी गंगा आश्रम में भू-समाधि दी गई। उनका यह आश्रम मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में है।

shankaracharya
Share
Advertisement

हिन्दू धर्म के सबसे बड़े जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का शनिवार को मध्य प्रदेश में निधन हो गया। संत परंपरा के अनुसार उन्हें सोमवार को झोतेश्वर के परमहंसी गंगा आश्रम में भू-समाधि दी गई। उनका यह आश्रम मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में है। भू समाधि की प्रक्रिया एक खास तरीके से पूरी की जाती है। आमतोर पर हिंदू धर्म में लोगों का अंतिम संस्कार दाह क्रिया यानी जलाकर किया जाता है, लेकिन संन्यासियों के लिए नियम विपरीत हैं।

Advertisement

साधु-संतों को दफनाने के पीछे चार खास वजहें हैं। पहली, मरने के बाद शरीर से चींटी जैसे छोटे-छोटे जीवों को उनका आहार मिल सके। दूसरी, समाधि देने से पर्यावरण को कोई भी हानि नहीं होती है। तीसरी, साधु-संतों को अग्नि को सीधे स्पर्श करने की मनाही है। और चौथी, समाधि देने से संत अपने शिष्यों के साथ हमेशा रहते हैं।

समाधि देने के कितने तरीके होते हैं –

समाधि देने के दो तरीके हैं। पहला है भू-समाधि देना, जिसमें शरीर को जमीन में दफनाया जाता है। वहीं, दूसरा है जल समाधि देना, जिसमें शरीर को बहते पानी में छोड़ा जाता है। समाधि देने के लिए मूल गड्ढे की लंबाई, चौड़ाई और गहराई 6-6 फीट रहती है। कभी-कभी साधु-संतों की लंबाई के हिसाब से गड्ढे की साइज में बदलाव किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *