भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy 2022) का ऐलान हो गया है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने रेपो रेट (Repo Rate) में 50 बेसिस प्वाइंटस का इजाफा किया। जिसके बाद रेपो रेट 4.90 फीसदी से बढ़कर 5.40 फीसदी हो गया है। आरबीआई ने इस साल लगातार तीसरी बार रेपो रेट में वृद्धि की है।
इससे पहले मई में अचानक रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ा दिया था, जबकि जून की एमपीसी बैठक में 0.40 फीसदी की वृद्धि की गई थी। इस तरह मई से अब तक रेपो रेट में कुल 1.40 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है, जो पिछले ढाई साल में सबसे ज्यादा है। अब इसका असर लोगों के होम लोन (Home Loan) से लेकर पर्सनल लोन (Personal Loan) तक की ईएमआई (EMI) पर दिखने वाला है।
अर्थव्यवस्था पर भी महंगाई का असर पड़ा
रिजर्व बैंक RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ग्लोबल स्तर पर महंगाई चिंता का विषय है। उभरते बाजारों के घरेलू, वैश्विक खतरे बढ़े हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी महंगाई का असर पड़ा है। करेंट अकाउंट डेफिसिट को लेकर चिंता की बात नहीं है। कैड सस्टेनेबल लिमिट में है।
वहीं आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि सप्लाई बढ़ने से खाने के तेल की कीमतों में आगे भी और कमी देखी जा सकती है।आरबीआई ने कहा कि आगे भविष्य में भी खाद्य तेलों के दामों में गिरावट देखने को मिल सकती है।
क्या है रेपो रेट
इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
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