प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अमेरिका रवाना हो गए। 2014 के बाद से वह बतौर प्रधानमंत्री छह बार अमेरिका जा चुके हैं, लेकिन इस यात्रा को उनकी पिछली तमाम यात्राओं से ज्यादा अहमियत दी जा रही है ।जिसके पीछे ठोस वजहें हैं। पहली बात तो यह पहला मौका है, जब वह बाकायदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के आमंत्रण पर वहां जा रहे हैं। उनकी इस यात्रा को स्टेट विजिट का दर्जा भी हासिल है।
आपको बता दे कि नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के योग दिवस में शामिल होंगे और बाइडन से बातचीत करेंगे। साथ ही वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी व्यापारिक नेताओं से भी मिलेंगे, भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगे।
इसके बाद पीएम वाशिंगटन डीसी में ‘स्केलिंग फॉर फ्यूचर’ पर आधारित कार्यक्रम में शामिल होंगे। 21 जून को ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और पीएम मोदी के बीच निजी मुलाकात हो सकती है। दूसरे दिन 22 जून को व्हाइट हाउस में पीएम का स्वागत करने के बाद द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। वह अमेरिकी संसद के साझा सत्र को भी संबोधित करेंगे।
इसके अलावा दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापार व निवेश साझेदारी और प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, अंतरिक्ष, विनिर्माण और निवेश जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। अमेरिका के दौरे में अहम एजेंडा द्विपक्षीय रक्षा सहयोग रहेगा। विदेश मंत्रालय ने पीएम के दौरे को दोनों देशों के संबंधों के लिए मील का पत्थर करार दिया। साथ ही इसे बहुत ही महत्पपूर्ण यात्रा बताया है।
यात्रा से पहले पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि अमेरिका में, मुझे बिजनेस लीडर्स से मिलने, भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करने और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विचारकों से मिलने का अवसर भी मिलेगा। हम व्यापार, वाणिज्य, नवाचार, प्रौद्योगिकी और ऐसे अन्य क्षेत्रों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत-यूएसए संबंधों को गहरा करना चाहते हैं।
भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा का एक अहम आयाम दोनों देशों के बीच मजबूत प्रौद्योगिकी गठजोड़ बनाना, रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप और आर्थिक संबंधों को बेहतर बनाना है। वह बाइडन के साथ रक्षा सह उत्पादन और विकास से जुड़े सभी मसलों पर चर्चा के अलावा सेमीकंडक्टर्स, एयरोस्पेस में सहयोग पर भी चर्चा करेंगे।
क्वात्रा ने कहा, पीएम 24-25 जून को मिस्र जाएंगे। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर यात्रा कर रहे हैं। वे यहां 11वीं सदी की वोहरा समुदाय की अल-हाकिम मस्जिद जाएंगे। वह यहां प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र के लिए लड़ते हुए बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि भी अर्पित करेंगे। साथ ही कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी करेंगे।
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