जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) को देश की टॉप 10 सर्वोच्च संस्थानों में गिना जाता है। देशभर के कितने ही छात्र यह पढ़ने का सपना देखते है, लेकिन अक्सर ये यूनिवर्सिटी विवादों के घेरे मे रहती है। देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के बीच, जवाहर लाल नेहरु (JNU) की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित (Santishree Dhulpudi Pandit) ने हिंदू देवी-देवताओं की जाति को लेकर विवादित बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि मानव-विज्ञान के नजरिए देखा जाए तो कोई भी देवता उच्च जाति का नहीं है।
भगवान जगन्नाथ को बताया आदिवासी
कुलपति शांतिश्री ने कहा भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह एक सांप के साथ एक श्मशान में बैठते हैं और उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण श्मशान में बैठ सकते हैं।” उन्होंने कहा कि लक्ष्मी, शक्ति, या यहां तक कि जगन्नाथ सहित देवता ‘‘मानव विज्ञान की दृष्टि से” उच्च जाति से नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में, जगन्नाथ का आदिवासी मूल है।
सभी महिलाएं शूद्र हैं
इतना ही नहीं उन्होंने महिलाओं की जाती पर विवादित बयान दिया… शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने दावा किया कि सभी महिलाएं शूद्र हैं। इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। आपको जाति सिर्फ पिता से या विवाह के जरिये पति की मिलती है।मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से प्रतिगामी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रखे हुए हैं जो बहुत ही अमानवीय है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबा साहेब के विचारों पर फिर से सोच रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू कोई धर्म नहीं है, यह जीवन जीने की एक तरीका है, और अगर यह जीवन जीने का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं?’’