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‘लिव इन रिलेशनशिप’ पर केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी, ‘यूज़ एंड थ्रो’ कल्चर ने किया शादी के रिश्ते को बर्बाद 

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केरल हाईकोर्ट ने देश में बढ़ते तलाक के मामलों पर चिंता जताई है। तलाक की एक याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नई पीढ़ी शादी को बुराई मानती है, आजादी के लिए वो इससे दूर भागती है।

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नई दिल्ली: केरल हाईकोर्ट ने देश में बढ़ते तलाक के मामलों पर चिंता जताई है। तलाक की एक याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नई पीढ़ी शादी को बुराई मानती है, आजादी के लिए वो इससे दूर भागती है। यही वजह है कि आज ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के मामले बढ़ रहे हैं।

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इसमें उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ती और जब चाहें वे इस रिश्ते से मुक्त हो सकते हैं। वही कोर्ट ने ये भी कहा की शक करना किसी पत्नी का आम व्यवाहार है और इस आधार पर तलाक नहीं लिया जा सकता है। हमें यूज एंड थ्रो के कल्चर ने बर्बाद कर दिया है।

बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है

इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि यह समाज के लिए काफी चिंता का विषय है। क्योंकि शादी टूटने से सिर्फ दो लोगों की नहीं बल्कि कई जिंदगियां बर्बाद होती हैं। इसका सबसे ज्यादा बुरा असर तलाकशुदा लोगों के बच्चों पर पड़ता है।

कोर्ट ने कहा- केरल को भगवान के देश के रूप में जाना जाता है। ये पारिवारिक बंधन के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन वर्तमान चलन, स्वार्थी कारणों से और एक्स्ट्रामैरिटल रिलेशनशिप की वजह से रिश्ते टूट रहे हैं। ये समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

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