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भारत की प्रजनन दर में गिरावट, कुल प्रजनन दर अब 2.2 से घटकर रह गई 2

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्तर पर भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) यानी एक महिला बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2 हो गई है। 2015-16 में यह 2.2 थी। खास बात ये है कि 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट मार्क माना जाता है। 0 यानी अगर एक दंपति दो बच्चों को जन्म दे रहे हैं, तो वो दो बच्चे उन्हें रिप्लेस कर लेंगे। 2 से कम बच्चे पैदा करने का मतलब है कि आबादी कम होने की आशंका है। 2.1 की प्रजनन दर पर आबादी की वृद्धि स्थिर बनी रहती है।

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भारत की प्रजनन दर में गिरावट

चंडीगढ़ में ये दर 1.4 और उत्तर प्रदेश में 2.4 है। ये जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सर्वेक्षण में सामने आई है। सर्वेक्षण से पता चला है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी चरण 2 राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है।

कुल प्रजनन दर अब 2.2 से घटकर रह गई 2

इतना ही नहीं , पहली बार भारत की कुल आबादी में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। इससे पहले 2015-16 में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 991 थी।

नए आंकड़ों के मुताबिक जन्म के समय का लिंगानुपात यानी जेंडर रेश्यो में बी सुधार देखा जा सकता है। 2015-16 में यह प्रति 1000 बच्चों पर 919 बच्चियों का था। ताजा सर्वे में यह आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों पर पहुंच गया है। खास बात ये है कि कुल आबादी में लिंगानुपात शहरों के बजाय गांवों में बेहतर है। गांवों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं ही हैं।

लिंगानुपात भले ही उत्साहवर्द्धक हों , लेकिन अभी भी देश में सिर्फ 41% महिलाएं ऐसी हैं जो 10वीं कक्षा से आगे अपनी पढ़ाई जारी रखती हैं। 59% महिलाएं 10वीं से आगे नहीं पढ़ पाईं। ग्रामीण इलाकों में तो सिर्फ 33.7% महिलाएं ही 10वीं के आगे पढ़ सकीं।

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