नई दिल्ली। सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना के खिलाफ नौजवानों में गुस्सा भड़क उठा है। युवा सड़कों पर उतरकर देश में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। यूपी, बिहार, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा सहित कई राज्यों में युवाओं ने जोरदार प्रदर्शन कर योजना को वापस लेने की मांग की। छात्रों का कहना है कि सरकार को इस योजना को कृषि कानूनों की तरह वापस लेना पड़ेगा।
2024 के लोकसभा चुनाव की हवा बनाने की तैयारी में जुटी केंद्र सरकार को अग्निपथ योजना मुश्किल में डाल सकती है। पार्टी के अंदर भी इस योजना को लेकर सहमति नहीं है। पार्टी प्रवक्ताओं को मीडिया में इस योजना का बचाव करना भी भारी पड़ रहा है।
हिमाचल व गुजरात चुनाव पर पड़ेगा असर?
भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि योजना से युवाओं की नाराजगी भड़क सकती है, जबकि 2014 से लेकर अब तक के चुनावों में ये पार्टी के सबसे बड़े समर्थक बन उभरे थे। इसी साल के अंत में पार्टी को हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनावों का सामना करना है। नेताओं का मानना है कि इस योजना से पार्टी को हिमाचल प्रदेश में बड़ा नुकसान हो सकता है जहां लगभग हर दूसरे घर का एक जवान सेना में नौकरी करता है। यदि समय रहते इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ तो आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा भाजपा पर भारी पड़ सकता है।
कृषि कानून जैसी गलती दोहराई गई
माना जा रहा है कि इस योजना को पेश करने के पहले केंद्र सरकार ने ठीक उसी तरह की गलती दुहराई है जो उसने कृषि कानूनों को लाने के समय की थी। इस योजना को लाने के पहले भी युवाओं से कोई बात नहीं की गई। यदि छात्रों से बातचीत कर उन्हें योजना का लाभ बताया गया होता तो इसका इतना विरोध नहीं होता। चर्चा यह भी है कि इस योजना की अच्छाइयों को युवाओं के सामने सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया।
युवाओं को भरोसे में लेने में चूक हुई
भारतीय जनता पार्टी के एक नेता के मुताबिक, योजना में चार साल की सेवा के बाद 25 फीसदी युवाओं को सेना में स्थाई नौकरी देने की बात कही गई है। नेता के मुताबिक युवाओं को यह कहकर भरोसे में ले सकती थी कि अब हर एक पद के लिए चार युवाओं को लिया जाएगा, जिन्हें पूर्व की प्रक्रिया में पहले चरण में ही बाहर कर दिया जाता था। चयनित उम्मीदवारों में से सर्वश्रेष्ठ एक उम्मीदवार को चार साल के बाद स्थाई किया जाएगा जबकि शेष तीन को निर्धारित लाभ देते हुए सेवामुक्त कर दिया जाएगा, जिन्हें बाद में अर्द्धसैनिक बलों और अन्य सुरक्षा सेवाओं में वरीयता दी जाएगी।
नेता के मुताबिक, इस तरह से योजना पेश करने के बाद युवाओं में ज्यादा अवसर मिलने का संदेश जाता। वर्तमान स्थिति में इसका बेहद नकारात्मक संदेश गया है। चुनाव के पूर्व जैसे ही इस मुद्दे पर युवाओं को विपक्षी दलों का साथ मिलता है, यह मुद्दा सरकार के लिए बड़ी समस्या बनकर उभर सकता है।
बचाव में उतरे गृह मंत्री शाह, योगी और शिवराज
अग्निपथ योजना पर युवाओं के विरोध को देखते हुए भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और अन्य नेता इसका बचाव करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अग्निपथ योजना से निकले जवानों को राज्य की नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी। गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि इन युवाओं को अर्धसैनिक बलों में समायोजित करने में प्राथमिकता दी जाएगी।
राहुल गांधी ने दिया युवाओं को समर्थन
उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर युवाओं का साथ दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि सरकार ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इस नई योजना में युवाओं को न तो कोई पेंशन मिलेगी और न ही उनका आगे का भविष्य सुरक्षित होगा। इससे उनमें निराशा बढ़ेगी। उन्होंने कहा है कि सरकार को युवाओं की अग्निपरीक्षा नहीं लेनी चाहिए। उसे युवाओं की बात कर समस्या का हल निकालना चाहिए।
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