नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए मतदान हो गया है। आज नतीजे आ आएंगे। आज ही तय हो जाएगा कि देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलेंगी या फिर यशवंत सिन्हा के तौर पर विपक्ष कमाल करेगा।
हालांकि, आंकड़ों पर नजर डालें तो द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी काफी मजबूत मानी जा रही है। मुर्मू करीब डेढ़-दो लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीत सकती हैं। बेहद गरीब और पिछड़े परिवार से आने वाली मुर्मू की जिंदगी में कई कठिनाई रही हैं। उन्होंने पांच साल के अंदर अपने दो जवान बेटों और पति को खो दिया। ये तो मुर्मू के संघर्ष की बातें हो गईं।
आज हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े खूबसूरत पलों के बारे में बताएंगे। मुर्मू की प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे। कैसे उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई? कैसे दोनों की शादी हुई? शादी के लिए परिवार को दोनों ने कैसे मनाया? शादी में दहेज के रूप में क्या-क्या मिला?
पहले मुर्मू के बारे में जान लीजिए
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून साल 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में हुआ था। मुर्मू संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। वह किसान थे। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दोनों से चार बच्चे हुए। इनमें दो बेटे और दो बेटियां। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। इसके बाद 2009 में एक और 2013 में दूसरे बेटे की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। 2014 में मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू की भी मौत हो गई है। बताया जाता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था। अब उनके परिवार में सिर्फ एक बेटी है। जिनका नाम इतिश्री है।
कॉलेज में पढ़ाई, यहीं हुआ प्यार
मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, दोस्ती प्यार में बदल गई। श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे।
शादी का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए श्याम चरण
बात 1980 की है। द्रौपदी और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। दोनों एक साथ आगे का जीवन व्यतीत करना चाहते थे। परिवार की रजामंदी के लिए श्याम चरण विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी के गांव में ही रहते थे। ऐसे में अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी के घर गए थे। तमाम कोशिशों के बावजूद द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते को लेकर इंकार कर दिया।
श्याम चरण भी पीछे हटने वाले नहीं थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अगर वह शादी करेंगे तो द्रौपदी से ही करेंगे। द्रौपदी ने भी घर में साफ कह दिया था कि वह श्याम चरण से ही शादी करेंगी। श्याम चरण ने तीन दिन तक द्रौपदी के गांव में ही डेरा डाल लिया। थक हारकर द्रौपदी के पिता ने इस रिश्ते को मंजूरी दे दी।
दहेज में गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े मिले
शादी के लिए द्रौपदी के पिता मान चुके थे। अब श्याम चरण और द्रौपदी के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। कुछ दिन बाद श्याम से द्रौपदी का विवाह हो गया। बताया जाता है कि द्रौपदी और श्याम की शादी में लाल-पीले देसी मुर्गे का भोज हुआ था। तब लगभग हर जगह शादी में यही बनता था।
ससुराल में पति के नाम से खुलवाया स्कूल
द्रौपदी मुर्मू का ससुराल पहाड़पुर गांव में है। यहां उन्होंने अपने घर को ही स्कूल में बदल दिया है। इसका नाम श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय है। द्रौपदी ने अगस्त 2016 में अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया था। हर साल द्रौपदी अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर यहां जरूर आती हैं।
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