
उत्तराखंड: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पौड़ी में स्वतंत्रता सेनानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने कहा, “आज वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा का अनावरण हो रहा है, वे कर्म और धर्म दोनों से सैनिक थे और एक सैनिक का धर्म होता है, देश और समाज की रक्षा करना।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा का किया अनावरण
उन्होनें कहा कि आज पीठसैण में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा के अनावरण समारोह में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वे एक सच्चे सैनिक तो थे ही साथ ही वे एक प्रखर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ों आन्दोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, माधो सिंह भंडारी और तीलू रोतली की बहादुरी के गीत गढ़वाल के गांव-गांव में गाए जाते हैं। आज जिन वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा का अनावरण यहां हो रहा है, वे कर्म और धर्म दोनों से सैनिक थे।
रक्षा मंत्री बोले कि उत्तराखण्ड की यह धरती भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ‘देवभूमि’ के नाम से जानी जाती है। मगर यह देवभूमि एक ‘वीरभूमि और तपोभूमि’ भी है, यह हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। वैसे तो उत्तराखण्ड राज्य का गठन हुए केवल बीस वर्षों का समय ही बीता है मगर उत्तराखण्ड का इतिहास और यहां की परम्पराएं तो सदियों पुरानी हैं। यह गढ़वाल तो ‘वीर बडु का देस है’ :बावन गढ़ का देस’ है। हर गढ़ में बहादुरी और पराक्रम के किस्से मशहूर है।
बरसों से जो काम रूके पड़े थे उनको पूरा करने का हुआ प्रयास: रक्षा मंत्री
साथ ही उन्होनें कहा कि एक सैनिक का धर्म होता है देश और समाज की रक्षा करना। अंग्रेजी हुकूमत में वे फौज के भर्ती हुए। वह दौर प्रथम विश्व युद्ध का दौर था और अंग्रेजी फौज की तरफ से उन्हें लड़ने के लिए फ्रांस भेजा गया। भारतीय सैनिकों की बहादुरी, बलिदान और प्रोफेशनलिज्म का परिचय पूरी दुनिया को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली न केवल फ्रांस में लड़े बल्कि मेसोपोटेमिया में भी 1917 में उन्हें लड़ने के लिए भेजा गया। गलवान में मातृभूमि की रक्षा करने के लिए संघर्ष करने की नौबत आयी तो बिहार रेजीमेंट के बहादुरों ने देश के मान-सम्मान की रक्षा की और एक इंच जमीन भी जाने नहीं दी। जिस शौर्य, सूझबूझ और संयम का परिचय भारतीय सेना ने दिया है वह इस देश के ‘सच्चे सैनिक धर्म’ की पहचान है।
भारतीय सीमा के आखिरी गांव माना तक सड़क की Black Topping का काम चल रहा है
रक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के सामरिक महत्व को देखते हुए Border Roads Organisation (BRO) द्वारा यहां पर 1000 कि.मी. लम्बी सड़कों के निर्माण पर काम चल रहा है जिनमें 800 कि.मी. सड़क तो LAC और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटी हुई है। इन सड़कों के बन जाने से जहां सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से देश को लाभ होगा वहीं आर्थिक दृष्टि से प्रदेश की जनता को बहुत बड़ा लाभ होने वाला है। भारतीय सीमा के आखिरी गांव माना तक सड़क की Black Topping का काम चल रहा है जो जल्द ही पूरा हो जाएगा। अब लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर यात्रा पर जाना सुगम हो गया है। यह रास्ता आर्थिक और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह रास्ता भारत और नेपाल को और करीब लाने में सहायक होगा। नेपाल हमारे लिए केवल एक मित्र देश नहीं है बल्कि उसके साथ हमारा परिवार जैसा संबंध है।