Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां धूमधाम से चल रहीं हैं। ऐसा लग रहा है जैसे प्रभू राम कई सालों के वनवास के बाद एक बार फिर अपनी जन्मभूमी वापस लौट रहे हैं। 22 जनवरी को रामलला अपनी मंदिर Ayodhya Ram Mandir के गर्भ-गृह में सदैव के लिए विराजमान कर दिए जाएंगे। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए जहां हर कोई व्याकुल है। तो वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस सरकार की बातें सुनकर प्रतीत होता है। जैसे वे प्रभू राम के प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी (BJP) का कोई निजी समारोह समझ रहे हैं और अपने अहंकार की खातिर कार्यक्रम में न शामिल होने के बहाने दे रहे हैं।
बता दें कि हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने Ayodhya Ram Mandir प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया था। जिसका कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं इन्हें नहीं जानता। वहीं अब कांग्रेस सरकार(Congress Party) ने भी राम मंदिर के उद्घाटन समारोह का न्योता ठुकरा दिया है। जिसके बाद भाजपा सरकार ने कांग्रेस( पर निशाना साधा है। कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए पार्टी ने कहा की ये अब बहिष्कार पार्टी बन गई है। बीजेपी ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि ये अब गांधी की नहीं नेहरु की पार्टी बन गई है।
हालांकि कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने का अपना कारण बताया है। लेकिन बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव (Harnath Singh Yadav) ने पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि “कांग्रेस ने शुरुआत से ही राम जन्मभूमि पर मंदिर का विरोध किया। उसने रास्ते में रोड़े लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। उनके पास अपने पाप और अपराधों को धोने का मौका था, लेकिन उन्होंने वो भी गंवा दिया। इस देश के लोग भगवान राम के साथ खड़े हैं। कांग्रेस ही नहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव तो न्योते को स्वीकारने से भी इनकार कर चुके हैं। वे भी अपने पिता की गलतियों का प्रायश्चित कर सकते थे। लेकिन उन्होंने यह मौका गंवा दिया। राम और कृष्ण विरोधी ताकतें इस देश में मजबूत हो रही हैं। ये सभी हिंदू-विरोधी ताकतें हैं।”
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इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने भी कांग्रेस सरकार पर तंज करते हुए कहा कि “कांग्रेस पार्टी का शुरू से ही यही रवैया रहा है, यहां तक कि जब पुननिर्माण के बाद सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था, उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति ने वहां जाने का फैसला किया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी ने इस कदम का विरोध किया… उस दिन से राम और कृष्ण विरोधी ताकतें इस देश में मजबूत हो रही हैं। उस दिन से कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण के लिए लगातार हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है। इन 30-40 वर्षों के दौरान जब भी राम मंदिर का मुद्दा आया, या तो उन्होंने इसकी आलोचना की या इसका विरोध किया… इसलिए उनके इस फैसले से मुझे आश्चर्य नहीं हुआ…”
इसके अलावा भी भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी (Sudhanshu Trivedi) से लेकर कई बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
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