Tamilnadu: भारत में हरित क्रांति के जनक और कृषि जगत के लोगों के प्रेरणास्त्रोत एमएस स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में गरुवार सुबह 11.20 बजे अंतिम सास ली। स्वामीनाथन को 1967 में पद्म श्री और 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
देश में हरित क्रांति का नेतृत्व मुख्य रूप से एम.एस. स्वामीनाथन द्वारा किया गया। जिसके परिणामस्वरूप खाद्यान्न (विशेषकर गेहूं और चावल) के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई, जिसकी शुरुआत 20वीं शताब्दी के मध्य में विकासशील देशों में नए, उच्च उपज देने वाले किस्म के बीजों के प्रयोग के कारण हुई।
शुरूआत में हरित क्रांति का ज्यादा प्रभाव हरियाणा, पंजाब और विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहा था। लेकिन बाद में अन्य राज्यों ने भी कृषि के लिए नई तकनीक अपनाना शुरू किया जिससे खाद्यान्न संकट को दूर किया जा सके।
साल 1967-68 और साल 1977-78 की अवधि में हुई हरित क्रांति भारत को खाद्यान्न की कमी वाले देश की श्रेणी से निकालकर विश्व के अग्रणी कृषि देशों की श्रेणी में परिवर्तित कर दिया। और यह देश के लिए गौरव का क्षण था।
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