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CBI की क्लोजर रिपोर्ट ने BJP की साजिश की पोल खोली – सत्येंद्र जैन बेगुनाह साबित, अब कौन जिम्मेदार?

अहम बातें एक नजर में:

Satyendar Jain News : आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ झूठे भ्रष्टाचार के केस दर्ज कर उनको बदनाम कर रही भाजपा के षड़यंत्रों की पोल खुल गईं है. दरअसल, पीडब्ल्यूडी में भर्तियों में भ्रष्टाचार का चल रहे केस में ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भाजपा की सीबीआई को कोई भ्रष्टाचार नहीं मिला है. लिहाजा सोमवार को उसने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी. कोर्ट ने भी क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करते हुए केस बंद कर दिया है. सत्येंद्र जैन को क्लीन चिट मिलने के बाद ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है. अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर कहा कि “आप” नेताओं के खिलाफ लगाए गए सारे केस झूठे हैं. समय के साथ सभी केसों में सच्चाई सामने आ जाएगी.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे ऊपर झूठे केस लगाकर हमें जेल भेजा गया. जिन लोगों ने यह झूठे केस लगाए और जिन नेताओं के कहने पर ये झूठे केस लगाए, क्या उन सबको जेल नहीं भेजना चाहिए? हम पर दिन रात कीचड़ उछाला गया, हमारे परिवारों को इतनी पीड़ा झेलनी पड़ी, उस सबकी भरपाई? जब चाहा फ़र्ज़ी केस कर दिया, जब चाहा जेल भेज दिया और जब मन किया “क्लोजर रिपोर्ट” फाइल कर दी? क्या ये न्याय है?

8 साल की जांच के बाद भी नहीं मिला सबूत

उधर, “आप” के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीबीआई की एक अदालत ने दिल्ली के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ लंबे समय से चल रहे मुकदमे में क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है. यानी यह मामला बंद हो गया है. 2017 में जब यह मामला सुर्खियों में आया, तब खबरें थीं कि अरविंद केजरीवाल के मंत्री ने भ्रष्टाचार किया. लोगों को नौकरियों पर रखा गया. सीबीआई ने कहा कि टेंडर में छेड़छाड़ कर गड़बड़ी की गई. भ्रष्टाचार हुआ. एलजी ने, जिनका दायित्व था कि सोच-समझकर जांच की अनुमति दें, पूरी दुर्भावना और राजनीतिक कारणों से एक मंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू कर दी. सालों तक मंत्री, उनके परिवार, दोस्तों और अधिकारियों को परेशान किया गया. बार-बार बुलाया गया. पूछताछ की गई. अखबारों और टीवी पर खबरें चलवाई गईं. लेकिन 2025 में, करीब आठ साल बाद, सीबीआई को कहना पड़ा कि कोई भ्रष्टाचार नहीं था.

8 साल बाद क्लीन चिट: सत्येंद्र जैन पर केस बंद

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पीडब्ल्यूडी को वास्तुकारों की जरूरत थी. वास्तुकार नहीं थे. कई प्रोजेक्ट चल रहे थे. वास्तुकारों की आवश्यकता थी. इसके लिए सार्वजनिक विज्ञापन दिया गया. 1700 आवेदन आए. टेंडर के जरिए एक बाहरी स्रोत से सेवाएँ प्राप्त करने वाली कंपनी चुनी गई. उन लोगों को सरकारी नौकरी या कॉन्ट्रैक्ट जॉब नहीं दी गई. आउटसोर्स काम दिया गया, जो पूरी तरह अस्थायी था. उनकी तनख्वाह वही थी, जो किसी वास्तुकार को दी जाती है. कोई आईआईटी से था, कोई एनआईटी से, कुछ स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली से थे. कई ने तो जॉब छोड़ दी, क्योंकि उन्हें बेहतर अवसर मिले.

भाजपा ने रचाया झूठे मुकदमों का जाल

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बाकायदा इंटरव्यू पैनल था. चयन सही तरीके से हुआ. कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. सिर्फ इसलिए कि मोहल्ला क्लीनिक, अस्पताल, फ्लाईओवर, सड़कों जैसे दर्जनों काम चल रहे थे, जिनके लिए वास्तुकार चाहिए थे. उन वास्तुकारों को रखा गया. लेकिन इसके लिए मुकदमा कर दिया गया. क्यों? क्योंकि भाजपा नहीं चाहती थी कि दिल्ली में काम हो. अगर वास्तुकार रखे जाएंगे और मंत्री अच्छे लोगों को लाएंगे, तो दिल्ली में काम होने लगेगा. भाजपा का उद्देश्य इन कामों को रोकना था. इसलिए पहले वास्तुकार को हटाया गया. सलाहकारों को हटाया गया. मंत्रियों के साथ काम करने वाले इंटर्न्स और फेलोज को निकाला गया. ऊपर से झूठे मुकदमे लाद दिए गए, ताकि सालों तक मुकदमों में उलझाया जाए.

कोर्ट का फैसला भाजपा के लिए आईना

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुझे लगता है कि आज का कोर्ट का यह आदेश भाजपा के लिए आईना है. यह दिखाता है कि भाजपा की केंद्र सरकार और उनके नियुक्त एलजी कैसे राजनीतिक साजिश के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों और मंत्रियों को झूठे केसों में फंसाते हैं. इसका मकसद दिल्ली के कामों को ठप करना है. अरविंद केजरीवाल को बदनाम करना है. मंत्रियों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करना है. जितने भी इस तरह के मुकदमे दर्ज किए गए, उनमें एक-एक कर यही होगा. आज नहीं तो कल, क्लोजर रिपोर्ट आएगी. भाजपा की साजिशें, उनके षड्यंत्र, उनके झूठ और फरेब सबके सामने बेनकाब होंगे.

इससे पहले, सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर दो पोस्ट कर कहा कि भाजपा के षड्यंत्र का पर्दाफाश, सीबीआई के झूठे मुकदमे एक्सपोज. भाजपा की केंद्र सरकार और इनके एलजी की घटिया सोच – केजरीवाल की सरकार के काम रोकने के लिए इनके मंत्रियों और विधायकों पर झूठे मुकदमे करो, इन्हें भ्रष्टाचार के नाम पर बदनाम करो. अब सच सामने आ रहा है.

सत्येंद्र जैन को कोर्ट से राहत, अब बीजेपी को माफी मांगनी चाहिए

केंद्र सरकार द्वारा झूठे और बेतुके सीबीआई केस अब कोर्ट में औंधे मुंह गिर रहे हैं. ऐसे ही एक झूठे मुकदमे में कई वर्ष जांच करने के बाद भी सीबीआई को कोई भी भ्रष्टाचार नहीं मिला और आज कोर्ट ने केस को बंद कर दिया. ये मामला तब के मंत्री सत्येंद्र जैन जी पर सीबीआई द्वारा एफआईआर का है जिसमे आरोप था कि पीडब्ल्यूडी विभाग में भर्तियों में भ्रष्टाचार हुआ है. जब अरविंद केजरीवाल जी के मंत्रियों पर झूठे मुकदमे किए जाते हैं तो भाजपा बहुत शोर मचाती है और बदनाम करती है. आज भाजपा को सत्येंद्र जैन और उनके परिवार से माफ़ी मांगनी चाहिए.

सीबीआई को रेड में भी नहीं मिला था कोई सबूत

पीडब्ल्यूडी में भर्तियों में भ्रष्टाचार का केस दर्ज करने के बाद सीबीआई ने तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के घर पर रेड भी मारा था, लेकिन उसे कोई सबूत नहीं मिला था. सत्येंद्र जैन के घर 30 मई 2019 को सीबीआई ने यह रेड की थी और कई घंटे तक तक घर का एक-एक कोना छान मारा था. बेड, अलामारी, गद्दे सब जांच करने के बाद भी सीबीआई खाली हाथ लौटी थी.

अब कोर्ट ने भी कहा, सत्येंद्र जैन के खिलाफ कोई सबूत नहीं

वहीं, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि न तो आपराधिक साजिश, न ही सत्ता का दुरुपयोग, न ही आर्थिक लाभ और न ही सरकारी खजाने को कोई नुकसान हुआ है. जांच में पाया गया कि कथित कृत्य केवल प्रशासनिक अनियमितताओं तक सीमित हैं, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(डी) या आपराधिक साजिश के तहत अपराध सिद्ध नहीं करते. कई वर्षों की जांच के बावजूद, सीबीआई को निवारण अधिनियम, 1988 या किसी अन्य अपराध के तहत आरोपों को बल देने वाला कोई ठोस सबूत नहीं मिला. जब जांच एजेंसी को इतने लंबे समय तक कोई अपराध सिद्ध करने वाला सबूत नहीं मिला, खासकर निवारण अधिनियम, 1988 के तहत, तो आगे की कार्यवाही बेकार साबित होती है.

केस बंद करना ही सही फैसला : कोर्ट

कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक आधिकारिक निर्णय, जो नियमों का सख्ती से पालन नहीं करता, निवारण अधिनियम को लागू करने की मांग नहीं करता. इसके लिए कम से कम कुछ ठोस सामग्री होनी चाहिए जो निवारण अधिनियम, 1988 के प्रावधानों को लागू करने को उचित ठहराए. केवल कर्तव्य की उपेक्षा या कर्तव्य का अनुचित प्रयोग अपने आपमें निवारण अधिनियम के तहत उल्लंघन नहीं माना जा सकता. सीबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि न तो आर्थिक लाभ, न ही साजिश और न ही भ्रष्टाचार का कोई सबूत मिला है. इसके अलावा, विरोध याचिका (प्रोटेस्ट पेटिशन) में भी जांच या अन्य स्रोतों से कोई पर्याप्त प्रारंभिक सबूत नहीं दिया गया, जो आगे की जांच को उचित ठहराए.

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