
Monsoon Session 2025 : संसद का मानसून सत्र सोमवार यानि 21 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 21 अगस्त तक चलेगा. वहीं 32 दिनों के इस सत्र में कुल 21 बैठकें होंगी. 12 अगस्त से 17 अगस्त तक स्वतंत्रता दिवस समारोह के चलते कार्यवाही स्थगित रहेगी, साथ ही 18 अगस्त से सत्र दोबारा शुरू कर दिया जाएगा. सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद को संबोधित करेंगे.
विपक्ष तैयार, बहस के लिए माहौल गर्म
सूत्रों की मानें तो इस बार का मानसून सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद जताई जा रही है. जहां विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने और जवाबदेही की मांग करेगा. इस बीच सबसे बड़ा मुद्दा “ऑपरेशन सिंदूर” है, जो 22 अप्रैल को पहल्गाम में हुए आतंकी हमले से जुड़ा है. जिसमें 26 लोगों की जान गई थी. विपक्ष ने प्रधानमंत्री से इस पर सीधा बयान देने की मांग की है.
इतना ही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाक शांति मध्यस्थता के दावे और बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण (SIR) पर भी सरकार से जवाब मांगा जा रहा है. जिसमें विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया आगामी चुनावों को प्रभावित करने के लिए एक सोची समझी साजिश है.
सरकार की तैयारी: कई अहम विधेयक पेश होंगे
सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश करने की तैयारी में है, जिनमें शामिल हैं –
- जीएसटी सुधार
- टैक्स कानूनों में बदलाव
- खेल प्रशासन कानून
- बंदरगाह और खनिज नीति
- भू-विरासत संरक्षण बिल
इसके साथ ही, आयकर विधेयक 2025 पर बनी संसदीय समिति की रिपोर्ट भी पेश की जाएगी. एक अन्य बड़ा मुद्दा एक न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव से जुड़ा है, जिसको लेकर चर्चा की जा सकती है.
सर्वदलीय बैठक में सहमति
रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सरकार ने साफ कर दिया कि वह सभी राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी देते हुए कहा, “सरकार नियमों और परंपराओं के तहत सभी मुद्दों पर खुली चर्चा चाहती है.”
जनता के मुद्दे बनेंगे बहस का केंद्र या फिर होगा सिर्फ सियासी हंगामा?
दरअसल इस बार संसद का मानसून सत्र कई मायनों में खास रहने वाला है. जहां सरकार नए कानून लाने की तैयारी में है, तो वहीं विपक्ष कई अहम मुद्दों पर जवाब चाहता है. जिसमें ऑपरेशन सिंदूर, मतदाता सूची, और प्रधानमंत्री का बयान जैसे विषयों पर गरमागरम बहस होने की आशंका है.
हालांकि अब इस सत्र में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नेता सच में जनता के मुद्दों पर बात करेंगे या फिर सारा वक्त एक-दूसरे पर तंज कसने या आरोप लगाने में ही चला जाएगा. उम्मीद है कि संसद में जो चर्चा हो, वो देश और आम लोगों के भले के लिए हो क्योंकि जनता के भरोसे में ही असली ताकत है.
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