
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2019 के मनिफेस्टो में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में 33% का आरक्षण देने का वादा किया था। अब संसद में इस बिल पर चर्चा हो रही है। संसद के विशेष सत्र के लिए मोदी सरकार ने एजेंडा जारी किया है। महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर सियासी चर्चा तेज है। इस बिल का महत्वपूर्ण हिस्सा बीजेपी एजेंडा रहा है । इसे पूरा करने की कोशिश अटल बिहारी सरकार के दौरान भी की गई थी लेकिन तब बहुमत नहीं मिला। अब भी मोदी सरकार के द्वारा इसे लागू करने की मांग है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिला आरक्षण बिल को पास करने की बात कही
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी हाल ही में महिला आरक्षण बिल को जल्दी पास करने की बात कही है। इससे पता चलता है कि समय बदल रहा है और महिलाओं को संसद में और बड़ी भूमिका मिलने की दिशा में कदम बढ़ रहा है। कांग्रेस को सिर्फ 20 प्रतिशत महिलाओं का समर्थन मिला। महिलाओं के 44 प्रतिशत वोट अन्य पार्टियों को मिले। अन्य पार्टियों में तृणमूल, बीजू जनता दल, बीआरएस और जेडीयू को सबसे अधिक महिलाओं का वोट मिला। इनमें से 36% महिलाएं बीजेपी को वोट देती हैं। महिला वोटरों की महत्वपूर्ण भूमिका के साथ, महिला आरक्षण बिल का पास होने से संसद में सदस्यों की संख्या में भी बदलाव आ सकता है।
इस सदन में महिलाओं की भागीदारी विशेषकर निर्वाचनीय आवक क्षेत्रों में बढ़ सकती है। फिलहाल, महिलाओं के लिए विशेष आरक्षित सीटों के संकेत देने वाले इस बिल पर चर्चा और विवाद जारी हैं, लेकिन यह महिलाओं के सांसद बनने के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।